प्रयागराज। समय सबसे बलवान होता है। इसके सामने किसी भी चीज का कोई महत्व नहीं। इसी समय के थपेड़ां और ताप में 15 वर्षों तक तपकर जीवन एक्सप्रेस सोने से कुंदन बना है। ये बातें एनसीआर के सीपीआरओ हिमांशु शेखर ने बृहस्पतिवार को हिंदुस्तानी एकेडमी के गांधी सभागार में आयोजित जीवन एक्सप्रेस के 16वें स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में कही। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सीपीआरओ हिमांशु शेखर ने जीवन एक्सप्रेस परिवार को बधाई दी और उन्होंने अखबार के निरंतर प्रगति करने की कामना की।
इससे पहले एनसीआर के सीपीआरओ हिमांशु शेखर, पीआरओ अमित मालवीय, पीआरओ रागिनी सिंह, महर्षि महेश योगी आश्रम के प्रभारी सुनील श्रीवास्तव, एडीटर इन चीफ अनुपम शुक्ला ने मां सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण और दीप प्रज्जवलित करके कार्यक्रम की शुरूआत की। वैदिक ब्राहम्णों ने स्वस्तिवाचन किया। इसके बाद आएशा मोनी ने अपनी सुमधुर आवाज से सरस्वती वंदना गाया। इसके बाद जीवन एक्सप्रेस के सुजीत कुमार वर्मा ने आए हुए अतिथियों का स्वागत कर कार्यक्रम को गति दी।
कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में मौजूद शहर समता हिन्दी दैनिक के संपादक और प्रकाशक उमेश चंद्र श्रीवास्तव ने कहा कि जिस तरह से बच्चों के किशोरावस्था में पहुंचने पर एक दिशा की आवश्यकता होती है वैसे ही जीवन एक्सप्रेस को भी टीन एज होने के बाद और अपग्रेड करें। हांलांकि जीवन एक्सप्रेस का समाज में बुद्धिजीवियों में एक अलग मुकाम है। उन्होंने अखबार की समानता ग्रंथों से करते हुए कहा कि पहले ज्ञान वाचिक माध्यम में था लेकिन इसे सदैव के लिए संरक्षित करने के उद्देश्य से महर्षि वेद व्यास ने इसे लिपिबद्ध किया। आत तमाम सोशल मीडिया और यू ट्यूब चैनलों के बावजूद आज भी अखबार और किताब का महत्व सबसे अधिक है। यह दोनों ही हमारे जीवन को सम्पूर्ण बनाती है। उन्होनें अखबार के शुरूआती दिनों के संस्मरण को भी साझा किया।
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पीआरओ अमित मालवीय ने कहा कि वैसे तो 16वीं वर्षगांठ स्वीट 16 की याद दिलाता है। लेकिन जब बात किसी अखबार की हो रही हो तो इसका आशय अखबार के 15वर्षों के संघर्ष से होता है। वैसे तो अखबार के पब्लिकशन पर बड़ी बडी़ बातें की जा सकती हैं। लेकिन वास्तव में अखबार को पब्लिश करने में रोजाना लिखे जाने वाली खबरों में वाणिज्यिक महत्व और समाजिक प्रासंगिकता के बीच संतुलन बनाने की चेतावनी भी होती है। जीवन एक्सप्रेस अखबार ने इस संतुलन को जिस तरीके से बनाया है वह अद्वितीय है। इसके लिए पूरा जीवन एक्सप्रेस परिवार बधाई के पात्र है। पीआरओ ने भी अखबार के शुरूआती संस्मरणों को साझा करते हुए कहा कि जब मुझे यह मालूम हुआ कि प्रयागराज से अंग्रेजी अखबार प्रकाशित होने जा रहा है तो यह मेरे लिए बहुत आश्चर्य की बात थी। लेकिन आज 15 वर्ष बाद मैं यह दावे के साथ कह सकता हूं कि यह अखबार आगे भी ऐसे ही बढता रहेगा। उन्होंने कहा कि यदि जीवित रहा तो मैं इस अखबार के 50वीं वर्षगांठ में भी शामिल रहूंगा।
कार्यक्रम में मौजूद इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के संरक्षक वीरेन्द्र पाठक ने कहा कि यह बहुत गौरव की बात है कि कोई पत्रकार अखबार का स्थापना दिवस मना रहा है। इसके लिए प्रकाशक अनुपम शुक्ला और उनकी टीम बधाई की पात्र है। उन्होनें कहा कि आजादी के दौर में जितनी पत्रकारिता हुई है या जितने भी प्रकाशक हुए वो सभी चौक क्षेत्र के थे और वहां पर प्रकाशक और प्रधान संपादक अनुपम शुक्ला का घर भी है। आजादी की गाथा लिखने वाले पत्रकारों में जो गुण था वही यह गुण जिस उर्वरा मिट्टी में है जहां वास्तव में पत्रकारिता, शब्दों के माध्यम से कं्रांति, शब्द के माध्यम से तथ्य संजांए है वही गुण जीवन एक्सप्रेस अखबार मे रिफ्लेक्ट होता है।
कार्यक्रम में महर्षि महेश योगी आश्रम के प्रभारी सुनील श्रीवास्तव ने कहा कि आज के समय में जब बाजारवाद पत्रकारिता पर पूरी हावी है इसी समय में जीवन एक्सप्रेस अखबार आज भी निष्पक्ष और संतुलित खबर प्रकाशित करता है। उन्होंने कहा कि निश्चित आज मीडिया अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है लेकिन जीवन एक्सप्रेस और कुछ अन्य अखबार आज भी अपनी विश्वसनीयता बनाए रखा है। जो एक बड़ी बात है और इसके लिए पूरी टीम बधाई की पात्र है।
कार्यक्रम में सत्या एडवरटाइजिंग एजेंसी के ओनर प्रदीप रस्तोगी, बुलंद दस्तक अखबार के प्रधान संपादक केके श्रीवास्तव ने भी स्थापना दिवस पर अखबार को अपनी शुभकामनाएं दी। कार्यक्रम में अतिथियों को मोमेंटो और प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का संचालन कमल श्रीवास्तव ने किया।