एस. सिंह
चंडीगढ़: पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल का 95 वर्ष की आयु में गत मंगलवार की शाम मोहाली के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया. वह काफी समय से अस्वस्थ चल रहे थे. भारत की सियासत में उनका कद कितना बड़ा था, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि केंद्र सरकार ने उनके निधन पर जहां दो दिन के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की है, वहीं पंजाब सरकार ने एक दिन का राजकीय अवकाश घोषित किया है. प्रकाश सिंह बादल का राजनीतिक जीवन 1947 में भारत की आजादी के तुरंत बाद शुरू हुआ था. वह एक प्रशासनिक अधिकारी बनना चाहते थे, लेकिन अकाली नेता ज्ञानी करतार सिंह से प्रेरित होकर सियासत में आने का फैसला किया.
कांग्रेस के टिकट पर जीता था पहला विधानसभा चुनाव
अपने पिता रघुराज सिंह के नक्शे कदम पर चलते हुए प्रकाश सिंह बादल गांव के सरपंच बने. सियासत में यहीं से उनकी एंट्री हुआ और यह सफर रफ्तार पकड़ता गया. जल्द ही उन्हें लंबी ब्लॉक समिति का चेयरमैन बनने का मौका मिल गया. दिलचस्प बात यह है कि उन्होंने 1957 में पंजाब विधानसभा का अपना पहला चुनाव कांग्रेस के टिकट पर जीता था. उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी उजागर सिंह को 25684 मतों से हराया था.
ऐसा माना जा सकता है कि उनके सियासी सफर की असली शुरुआत कांग्रेस से ही हुई थी. हालांकि अब प्रकाश सिंह बादल को उस श्रेणी के नेताओं में गिना जाता है, जो क्षेत्रीय राजनीतिक दलों के पक्षधर रहे हैं. साल 1967 में अकाली दल (संत फतेह सिंह ग्रुप) से चुनाव लड़ने पर वह मात्र 57 वोटों से हार गए थे. हालांकि 1969 में वह शिरोमणि अकाली दल की टिकट पर जीते गए थे. उन्होंने कांग्रेस के उम्मीदवार मोहिंद्र सिंह को 11207 वोटों से हराया था. इसके बाद 2022 तक उन्होंने चुनावी रण में कभी हार नहीं देखी.
सबसे युवा और बुजुर्ग CM होने का सम्मान हासिल था
प्रकाश सिंह बादल का जन्म 8 दिसंबर 1927 को पंजाब के बठिंडा के अबुल खुराना गांव में हुआ था. आजादी के बाद 43 साल की सबसे कम उम्र में मुख्यमंत्री बनने का खिताब भी उनके नाम पर ही दर्ज है. वह 1970 में पहली बार पंजाब के मुख्यमंत्री बने थे. सीएम के रूप में उनका पहला कार्यकाल सबसे छोटा था. वह मार्च 1970 में सीएम बने और करीब 14 महीने तक कुर्सी पर रहे थे. इतना ही नहीं, 2012 से 2017 तक उन्होंने 90 वर्ष की उम्र में मुख्यमंत्री के रूप में अपना कार्यकाल पूरा किया तो देश के सबसे बुजुर्ग सीएम होने का सम्मान भी उनके ही नाम रहा. उन्होंने 5 बार पंजाब के मुख्यमंत्री का पदभार संभाला. वह 1979 से 1980 के बीच चौधरी चरण सिंह के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार में कृषि मंत्री भी रहे. लेकिन 1980 के बाद उन्होंने पंजाब की राजनीति में अपने पांव जमाए और केंद्र की राजनीति छोड़ दी.
लगातार 11वीं चुनावी जीत दर्ज करने में रहे असफल
पंजाब विधानसभा चुनाव 2022 में वह सबसे उम्रदराज उम्मीदवार रहे. लेकिन लगातार 11वीं चुनावी जीत दर्ज करने में असफल रहे. वह 1969 से विधानसभा चुनाव नहीं हारे थे. हालांकि, उन्होंने अपना पहला चुनाव 1957 में जीता था, लेकिन वह 1967 में हार गए थे. प्रकाश सिंह बादल ने फरीदकोट से 1977 का संसदीय चुनाव जीता, लेकिन पद छोड़ दिया और उसी वर्ष गिद्दड़बाहा से विधानसभा चुनाव लड़ा था.
लंबी से छठी बार लड़ा था चुनाव
अकाली दल ने 1992 के पंजाब विधानसभा चुनाव का बहिष्कार किया था, इस दौरान कांग्रेस के उम्मीदवार रघुबीर सिंह गिद्दड़बाहा विधानसभा सीट से चुने गए थे, लेकिन उनका चुनाव रद्द कर दिया गया था. मनप्रीत सिंह बादल को 1995 के उपचुनाव में अकाली दल ने मैदान में उतारा था. इसके बाद प्रकाश सिंह बादल गिद्दड़बाहा छोड़ कर लंबी चले गए थे. उन्होंने इस साल लंबी से छठी बार चुनाव लड़ा था.
लाहौर से की थी ग्रेजुएशन
प्रकाश सिंह बादल की शुरुआती शिक्षा घर पर ही हुई थी. इसके बाद उन्होंने लंबी गांव के एक स्कूल में शिक्षा हासिल की. बताते हैं कि वह अपने गांव से घोड़े पर सवार होकर स्कूल जाया करते थे. 10वीं की पढ़ाई उन्होंने मनोहर लाल मेमोरियल हाई स्कूल से ग्रहण की थी. कॉलेज की पढ़ाई उन्होंने लाहौर के सिख कॉलेज से शुरू की थी, लेकिन बाद में फोरमैन क्रिश्चियन कॉलेज से ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की. प्रकाश सिंह बादल की पत्नी सुरिंदर कौर का निधन हो चुका है. उनके पुत्र सुखबीर सिंह बादल और बहू हरसिमरत कौर बादल, दोनों ही राजनीति में सक्रिय हैं.
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Tags: Prakash singh badal, Punjab politics, Shiromani Akali Dal
FIRST PUBLISHED : April 26, 2023, 07:30 IST